कपाल मोचन मेले डेंगू एवं चिकनगुनिया बारे स्वास्थ्य विभाग कर रहा जागरूक

बिलासपुर/सोहन पोरिया
तीर्थराज श्री कपाल मोचन मेला में प्रशासन द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में लोगों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्वास्थ्य से संबंधी जागरूक करने के साथ-साथ उन्हें डेंगू जैसे रोगों के बारे में भी जानकारी दी जा रही है जिससे की लोग इस बीमारी से बच सके। स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगाई गई स्टॉल पर एएनएम रजविन्दर कौर तथा काउंसलर राकेश द्वारा डेंगू, एचआईवी,एड्स एवं टीबी आदि रोगों के बारे में जागरूक कर उन्हें बताया गया कि सावधानी रख कर ही इन रोगों से बचा जा सकता है।

डेंगू रोकथाम के लिए लोगों को जानकारी देने के साथ-साथ उन्हें इसके लक्षण और बचाव के बारे में भी जानकारी दी जा रही है। डेंगू व चिकनगुनिया फैलाने वाला ऐडीज मच्छर दिन में काटता है व रुके हुए साफ पानी में ही पनपता है। डेंगू के लक्षण-अकस्मात तेज बुखार होना, अचानक तेज सिर दर्द होना, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द होना। आंखों के पीछे दर्द होना, जो कि आंखों को घुमाने से बढ़ता है। इसी प्रकार चिकनगुनिया के लक्षण-बुखार के साथ जोड़ों में दर्द व सूजन होना। कंपकंपी व ठण्ड के साथ बुखार का अचानक बढ़ना, सिरदर्द होना। डेंगू बुखार की रोकथाम सरल, सस्ती और बेहतर है। आवश्यकता है कुछ सामान्य उपाय बरतने की। एडीज मच्छरों का प्रजनन (पनपना) रोकना। एडीज मच्छरों के काटने से बचाव करना।

एएनएम रजविन्द्र कौर ने बताया कि इनमें से कोई भी लक्षण होने पर तुरंत अपने नजदीकी चिकित्सा केन्द्र एवं सरकारी अस्पताल में खून की जांच करवाएं। चिकित्सक की सलाह से ही दवा खाएं। डेंगू व चिकनगुनिया की जांच सभी जिला अस्पतालों में नि:शुल्क उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि मच्छर केवल पानी के स्रोतों में ही पैदा होते है जैसे नालियों, गड्ढों, रूम कूलर्स, टूटी बोतलों, पुराने टायर्स व डिब्बों तथा ऐसी ही अन्य वस्तुओं में जहां पानी ठहरता हो। अपने घर में और उसके आस-पास पानी एकत्रित न होने दें। गड्ढों को मिट्टी से भर दें। रुकी हुई नालियों को साफ कर दें। रूम कूलरों तथा फूल दानों का सारा पानी सप्ताह में एक बार पूरी तरह खाली कर दें, उन्हे सुखाएं तथा फिर से भरें। पानी की टंकियों तथा बर्तन को सही तरीके से ढक कर रखें ताकि मच्छर उसमें प्रवेश ना कर सके और प्रजनन न कर पाये। पानी के स्रोतों में कुछ छोटी किस्म की मछलियां (जैसे कि गैम्बुसिया, लेबिस्टर) भी डाल सकते है। ये मछलियां पानी में पनप रहे मच्छरों व उनके अंडों को खा जाती है।

मच्छरों को भगाने व मारने के लिए मच्छर नाशक क्रीम, स्प्रे, मैट्स, कॉइल्स आदि प्रयोग करें। अस्थमा मरीज व छोटे बच्चों के पास कॉइल्स न जलाए। रात के समय मच्छरदानी के प्रयोग से भी मच्छरों के काटने से बचा जा सकता है। ऐसे कपड़े पहनना ताकि शरीर का अधिक से अधिक भाग ढका रहे। यह सावधानी बच्चों के लिए अति आवश्यक है। घर के अंदर सभी क्षेत्रों में मच्छर नाशक दवाई का छिडकाव अवश्य करें। दवाई का छिड़कते समय अपने मुहं व नाक पर कोई कपड़ा अवश्य बांध लें तथा खाने पीने की सभी वस्तुओं को ढक कर रखें। फ्रिज के नीचे रखी हुई पानी इक्कठा करने वाली ट्रे को भी प्रतिदिन खाली कर दें। अपने घर के आस-पास के क्षेत्र में सफाई रखें। डेंगू के रोगी मच्छरदानी का प्रयोग करें जिससे कि यह रोग आगे न फैले।

क्या न करें-स्वयं दवा न खाएं- घरों के अन्दर व आस-पास के गड्ढों में पानी न होने दें। पुराना सामान जैसे टायर, ट्यूब खाली डिब्बे, पॉलीथिन के लिफाफे खुले में न फेंके ताकि वर्षा का पानी उसके इक्कठा हो। यदि कूलर प्रयोग में नहीं लाया जा रहा है तो उसमें पानी एकत्रित न होनें दे। हैंड पम्प व नल के आस पास पानी न जमा होने दें। टायर, ट्यूब, खाली डिब्बे खुले में न छोड़े, यदि अन्दर रखना सम्भव न हो तो उन्हें ढककर रखें तथा बोतलों आदि का उचित विसर्जन करें। कूड़ा-करकट इधर उधर ना फेकें। घर के आस-पास सफाई रखें।

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