यमुनानगर/सोहन पोरिया
उपमंडल रादौर के गांव हाफिजपुर के मधुमक्खी पालक प्रगतिशील किसान सुभाष कांबोज को भारत सरकार की और से दिल्ली में 26 जनवरी को 76वें गणतंत्र दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण मिला जिसमें वे भारत सरकार के 4 दिन तक मेहमान होंगे।
*मन की बात* कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सुभाष काम्बोज का जिक्र करते हुए कहा कि “हमारे किसान शहद के उत्पादन में कमाल कर रहे है। शहद की मिठास उनका जीवन भी बदल रही है व उनकी आय भी बढ़ा रही है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के यमुनानगर जिले में एक मधुमक्खी पालन साथी सुभाष काम्बोज रहते हैं। सुभाष काम्बोज ने वैज्ञानिक तरीके से मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लिया इसके बाद उन्होंने केवल 6 बॉक्स के साथ अपना काम शुरू किया था। आज वो करीब 2 हजार बॉक्सीस में मधुमक्खी पालन कर रहे हैं। उनका शहद कई राज्यों में सप्लाई होता है।”
किसान सुभाष को पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, पूर्व राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी के अलावा कृषि विज्ञान केंद्र दामला, चौधरी चरण सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार, उद्यान विभाग यमुनानगर, आईबीडीसी रामनगर और प्रदेश व देश में कई मंचों पर सम्मानित किया जा चुका है।
उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने सुभाष काम्बोज को इस उपलब्धि के लिए बधाई व शुभकामनाएं दी और अन्य किसानों को भी इस दिशा में आगे बढ़ते हुए जिले व प्रदेश का नाम देश में रोशन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा किसानों को भरपूर सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं जिसका लाभ उठाकर वे अपने जिले अपने प्रदेश का नाम भी रोशन कर सकते हंै। कृषि से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी एग्रीकल्चर विभाग से प्राप्त की जा सकती है।
प्रगतिशील किसान सुभाष काम्बोज ने बताया कि भारत सरकार की और से उन्हें 4 दिन के लिए दिल्ली में आने के लिए निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के अनुसार उनको 25 जनवरी को दिल्ली बुलाया है फिर वहां 25 जनवरी से 28 जनवरी तक अलग-अलग कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे जिसमें 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड को वीआईपी गैलरी में बैठकर देखने का मौका भी मिलेगा। उन्होंने बताया कि 27 और 28 जनवरी को उन्हें दिल्ली के प्रसिद्ध स्थानों पर भ्रमण के लिए ले जाया जाएगा। इस दौरान सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार के कार्यक्रम में भी शामिल रहेंगे।
सन् 1996 से पहले निजी स्कूल में शिक्षक के रूप में कार्य कर चुके किसान सुभाष कांबोज ने बताया कि उन्होंने मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने के बाद उन्होंने मात्र छह बॉक्स से मधुमक्खी पालन का कार्य शुरू किया था। आज उनके पास दो हजार से ज्यादा मधुमक्खी पालन के बॉक्स है। वे स्वयं पूरे देश में शहद की बिक्री करते है। आज उनका शहद हरियाणा, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल के अलावा विदेशों में भी बिकता है। उन्होंने अब तक एक हजार से ज्यादा लोगों को प्रशिक्षण देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है।
अपने व्यवसाय के संबंध में उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन, मधुमक्खियों को कृत्रिम घरों में रखकर उनसे शहद, मोम, और अन्य उत्पाद पाने का काम है, इसे एपीकल्चर भी कहते हैं, यह एक कम खर्चीला घरेलू उद्योग है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खी पालन से शहद और मोम के अलावा, रॉयल जेली, गोंद, और डंक-विष जैसे उत्पाद भी मिलते हैं। मधुमक्खी पालन एक लाभदायक और आकर्षक उद्योग है। इससे कृषि और बागवानी उत्पादन बढ़ता है, यह एक स्वरोजगार का अवसर है, इसमें स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल होता है, सरकार इस पर सब्सिडी देती है।