यमुनानगर/मोहित वर्मा
डीएवी गर्ल्स कालेज के आइपीआर सेल, इंस्टीट्यूशन एनोवेशन काउंसिल व रिसर्च एंड इनोवेशन सेल के संयुक्त तत्वावधान में पेटेंट पर ऑन लाइन एक्सटेंशन लेक्चर का आयोजन किया गया। कॉलेज की वाइस प्रिंसिपल एवं आइपीआर सेल कनवीनर डॉ अनीता मौदगिल ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। कार्यक्रम आईआईसी सेल कनवीनर विवेक की देखरेख में हुआ। नई दिल्ली स्थित नॉलेजेसिया कंसल्टेंट के सह-संस्थापक अपर्णा जैन व मैनेजिंग पेटेंट एसोसिएट अतुल मुख्य वक्ता रहे।
अपर्णा जैन ने कहा कि जब भी युवा अपनी कोई कंपनी या प्रोडक्ट लांच करते हैं, तो उसके लिए पेटेंट जरूरी है। इसके बाद कोई भी उससे मिलता जुलता प्रोडक्ट व कंपनी तैयार नहीं कर सकता। पेटेंट तीन प्रकार का होता है। जिसमें उत्पाद पेटेंट, प्रक्रिया पेटेंट व प्लांट पेटेंट शामिल है। उत्पाद पेटेंट के मुताबिक जब भी कोई कंपनी प्रोडक्ट पेटेंट करवाती है, तो उस प्रोडक्ट पर उसका एकाधिकार हो जाता है। इसका मतलब होता है कि कोई और कंपनी प्रोडक्ट की हूबहू नक़ल नहीं कर सकती। उदाहरण के लिए बाजार में मौजूद टूथपेस्ट और साबुन।
बाजार में कभी भी कोई टूथपेस्ट या साबुन एक जैसे दिखाई नहीं देते। प्रक्रिया पेटेंट किसी प्रोडक्ट को बनाने की प्रक्रिया के लिए इस्तेमाल किया जाता है। जब किसी भी प्रोडक्ट को बनाने की एक निश्चित प्रक्रिया होती है, यदि कोई कंपनी उस प्रक्रिया को पेटेंट करवा लेती है, तो कोई और उसी प्रक्रिया को इस्तेमाल कर नया प्रोडक्ट नहीं बना सकता। प्लांट प्लांट पेटेंट उन नए पौधों के लिए दिया जाता है जो बीज या किसी अन्य तरीके से उत्पन्न होते हैं और जो मानव द्वारा खोजे या आविष्कृत किए गए होते हैं।
अगर कोई बागवानी विशेषज्ञ एक नई प्रकार की गुलाब की प्रजाति विकसित करता है जो पहले कभी नहीं देखी गई है और इसमें कुछ विशेष गुण हैं जैसे कि एक अद्वितीय रंग या सुगंध, तो उस गुलाब के पौधे के लिए विशेषज्ञ को प्लांट पेटेंट मिल सकता है। इसके अलावा अतुल ने ट्रेड सिक्रेट, टेरिटोरियल राइट्स व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के बारे में विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के सफल आयोजन में ममता थापर, जसमीत कौर, पारिका उप्पल ने सहयोग दिया।