बाल संरक्षण आयोग की टीम का बड़ा एक्शन, प्राइवेट स्कूल की 13 बसें इंपाउंड, 5 बसों के काटे चालान

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बिलासपुर/मोहित वर्मा
हरियाणा में स्कूल बसों की हालत अगर आप देख ले तो शायद ही अपने बच्चों को इन स्कूल की बसों में सफर करने दे दरअसल यह बसे है किसी यमराज से कम नहीं है। स्कूल के बच्चे इन बसो मैं अपने रिस्क पर सफर करते हैं। बुधवार को जब हरियाणा बाल संरक्षण आयोग की टीम में यमुनानगर के कस्बा बिलासपुर में निरीक्षण किया तो एक ही प्राइवेट स्कूल की लगभग 13 बसों को इंपाउंड कर दिया। जबकि पांच बसों के चालान कर दिए गए। ऐसे में हरियाणा बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हरियाणा का यह पहला ऐसा स्कूल है यहां बच्चे इन बसों में बैठकर सीधे-सीधे मौत को दावत दे रहे हैं।

बता दें हरियाणा में स्कूल बस हादसे के बाद अब हरियाणा बाल संरक्षण आयोग ने भी इस पर सख्त रवैय अपना लिया है। ऐसे में आयोग की टीम हरियाणा की अलग-अलग जगह पर छापेमारी कर इन बसों के हालात जान रही है। जिन बच्चों को आरटीए ने पास करके भेज दिया था अब वही बसे आरटीए विभाग ही इंपाउंड कर रहा है। यमुनानगर में पिछले दो दिनों से लगातार कई स्कूलों में छापेमारी की गई। लेकिन आज जब यमुनानगर के कस्बा बिलासपुर के गणपति कान्वेंट स्कूल में बसों के हालात जाने तो बसों को देखकर हर आदमी दांतों तले उंगली दबा रहा था। गले सड़े बसो के फर्श जिन पर चढ़ते समय ही कोई हादसा हो जाए ऐसी बसों को लेकर स्कूल संचालक छात्र-छात्राओं की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे थे। यही नहीं इन बसों के पास ना तो इंश्योरेंस थी और ना ही पॉल्यूशन का कोई सर्टिफिकेट जबकि कुछ बसे तो ऐसी सामने आई जो बिल्कुल राम भरोसे ही सड़कों पर चल रही थी। उनकी खिड़कियों को रस्सी से बांधा गया था ऐसे में इन बसों में लगे सीसीटीवी कैमरे दिखावे के लिए रखे गए थे। यहां तक की एक बस का सीसीटीवी कैमरा तो फर्स्ट एड बॉक्स में पड़ा हुआ मिला ऐसे में आयोग की टीम इस स्कूल के हालात को देखते हुए गुस्से में आ गए और उन्होंने साफ कर दिया। कि हरियाणा में यह पहला ऐसा स्कूल है यहां पर बच्चों की जिंदगी से खिलवाड़ किया जा रहा है। ऐसे में गणपति कान्वेंट स्कूल की 13 बसों को इंपाउंड कर दिया गया जबकि पांच बसों को चालान कर छोड़ दिया गया।

गणपति कान्वेंट स्कूल की बसों के हालात बहुत ही खराब है लेकिन बड़ी बात तो यह थी की इन लोगों को फिटनेस सर्टिफिकेट कैसे मिल गया हालांकि बसों में एक के बाद एक कभी भी सामने आ रही थी। कहीं टायरों के नट नहीं थे तो कहीं खिड़कियों को रस्सी से बांधा गया था किसी किसी बस के तो शीशे को भी टेप से चिपकाए गया था। जबकि कुछ बसे तो ऐसी थी की चलते समय में सड़क पर कब दो हिस्सों में बैठ जाए यह भी उसका पता नहीं था। ऐसे में यह बस एक किसी भी मापदंड पर खड़ा नहीं उतर रही थी। बिलासपुर में गणपति स्कूल के साथ-साथ दो अन्य स्कूलों में भी जांच की गई जिसकी दो दो बसों को इंपाउंड कर दिया गया। तीन स्कूलों में स्कूल बसों के हालात जाने तो उनके हालात देखते हुए कल 15 वर्षों को इंपाउंड किया गया। जबकि चालान की राशि 4 लाख 87000 तक पहुंच गई ऐसे में आयोग की टीम ने इन स्कूलों को हिदायत विधि की कोई भी प्रिंसिपल अपने ऑफिस में ना तो कर्टन यानी कि परदा और ना ही कोई फिल्म चढ़े ग्लास लगाएगा। अगर स्कूल प्रिंसिपल के ऑफिस में कोई शीशा लग होगा तो उसके आर पार दिखना चाहिए ताकि ऑफिस में क्या हो रहा है। उसके बारे में सबको पता चले यही नहीं स्कूल के टीचरों का भी पूरा बुरा दीवार पर होना चाहिए और स्कूल में सभी स्टाफ की पुलिस वेरिफिकेशन भी होनी चाहिए। यही नहीं बस के चालक और परिचालक का अल्कोहल टेस्ट भी रोजाना करने के लिए स्कूल में मशीन रखी होनी चाहिए ताकि कोई चालक परिचालक शराब का सेवन न कर सके।