करनाल/सोहन पोरिया
शहर में स्काडा परियोजना का कार्य प्रगति पर चल रहा है, अब तक इसका 75 प्रतिशत कार्य पूर्ण हो चुका है। यह परियोजना मार्च 2025 में मुकम्मल होगी। अनुमानित साढे 38 करोड़ रूपये की महत्वपूर्ण परियोजना स्काडा से शहर की पेयजल व्यवस्था सुदृढ़ होगी। नलकूप, बूस्टर स्टेशन व ओवर हैड रिजरवायर ऑटोमेटिक सिस्टम से ऑन-ऑफ होंगे। बुधवार को यह जानकारी नगर निगम आयुक्त डॉ. वैशाली शर्मा ने दी।
उन्होंने बताया कि पेयजल आपूर्ति के नेटवर्क के तहत शहर में अलग-अलग लोकेशन पर 182 नलकूप, 3 बूस्टर स्टेशन तथा 4 ओवरहैड टैंक स्थापित हैं। योकोगावा इंडिया लिमिटेड एजेंसी इन सभी पर स्काडा के उपकरण स्थापित करने का काम कर रही है। इसके साथ-साथ इनके कनैक्शन भी किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि स्काडा प्रोजेक्ट को एकीकृत कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (आई.सी.सी.सी.) से जोड़ा जा रहा है, जहां से रियल टाईम डाटा एकत्र होगा। उपकरणों की निगरानी और उन पर नियंत्रण होगा। कार्य मुकम्मल होने के बाद पांच वर्ष तक एजेंसी द्वारा ही सभी उपकरणों का संचालन एवं रख-रखाव भी किया जाएगा।
यह हुए कार्य- निगमायुक्त ने बताया कि स्काडा परियोजना के अंतर्गत नलकूप, बूस्टर स्टेशन तथा ओवरहैड टैंक पर विभिन्न प्रकार के उपकरण स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 135 नलकूपों, मॉडल टाऊन स्थित बूस्टर स्टेशन तथा राम नगर, पुरानी अनाज मंडी व जुण्डला गेट स्थित ओवरहैड टैंक पर स्काडा के तहत लगाए जाने वाले सभी प्रकार के उपकरण स्थापित किए जा चुके हैं। कर्ण स्टेडियम परिसर स्थित ओवरहैड टैंक पर भी तकरीबन सभी उपकरण लग चुके हैं। उन्होंने बताया कि 122 नलकूप, एक बूस्टर स्टेशन तथा दो ओवरहैड टैंक को आई.सी.सी.सी. से जोड़ दिया गया है।
यह लगे स्काडा उपकरण- उन्होंने बताया कि इस कार्य में सॉफ्ट स्टार्टर, फ्लोमीटर, प्रैशर ट्रांसमीटर, पानी की गुणवत्ता जांचने के लिए एनालाईज़र, प्रोग्राम लॉजिकल कंट्रोल (पी.एल.सी.) यूनिट यानि प्रोग्राम तार्किक नियंत्रण इकाई व स्लूज वाल लगाए जा चुके हैं। इसके साथ-साथ जी.पी.आर.एस. मोडम, जंक्शन बॉक्स, लेवल ट्रांसमीटर, सी.सी.टी.वी. कैमरा तथा नेटवर्किंग इत्यादि कार्य किए जा रहे हैं।
क्या हैं स्काडा सिस्टम- उन्होंने बताया कि स्काडा (पर्यवेक्षी नियंत्रण और डाटा अधिग्रहण) सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर, दोनो तत्वों की एक केन्द्रीकृत प्रणाली है, जो पूरे क्षेत्र की निगरानी और नियंत्रण करती है। पर्यवेक्षी प्रणाली प्रक्रिया से डाटा एकत्र होता है और कमांड नियंत्रण को भेजा जाता है। यह डाटा, सिस्टम से जुड़े सेंसर, नेटवर्क और उपकरणों से प्राप्त होता है। सेंसर, गति, प्रवाह ओर दबाव जैसे मापदंडों को मापते हैं। इस सुविधा से शहर में क्षेत्र अनुसार पानी की पर्याप्त उपलब्धता के साथ-साथ पाईप लाईनो की लिकेज और उसका समाधान सुनिश्चित होगा। नलकूप ऑटोमेटिक सिस्टम से ऑन-ऑफ होंगे। पेयजल में क्लोरीन की संतुलित मात्रा मौजूद रहेगी, जिससे इसकी शुद्घता बनी रहेगी। स्काडा एप्लीकेशन के जरिए पूरे सिस्टम पर ऑनलाईन नियंत्रण रहेगा।