आस्था का केंद्र बना 4000 साल पुराना कालेश्वर महादेव मठ, नए साल पर लोग पहुंच रहे मन्नत मांगने

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यमुनानगर/मोहित वर्मा
बता दें यमुनानगर ज़िले की शिवालिक पहाड़ियों में स्थापित कालेश्वर महादेव मठ श्रद्धालुओं की अटूट आस्था का केंद्र है। जगाधरी-पांवटा नेशनल हाईवे पर कलेसर के जंगल के बीच स्थित यह मठ लोक समन्यव का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर की ख्याति का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि यहां पूरे साल श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। नव वर्ष पर हजारों लोग रोजाना 4000 साल पुराने कालेश्वर मठ के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं।

यमुनानगर से करीब 45 किलोमीटर की दूरी पर शिवालिक पहाड़ियों की तलहटी में यमुना नदी किनारे स्थापित भगवान शिव का यह मंदिर कालेश्वर महादेव मठ के नाम से प्रसिद्ध है। मंदिर में भगवान शिव का अति प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग है। शिव भक्त बेलपत्र और पवित्र यमुना जल से अभिषेक कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। नए साल की शुरुआत से यहां हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने आ रहे हैं और अपनी मन्नतें भी मांग रहे हैं। श्रद्धालुओं का कहना है कि पिछले कई वर्षों से कालेश्वर महादेव मठ में आते हैं क्योंकि हमारी मन्नते यहां पूरी होती है।

वहीं मंदिर के सेवादार आत्माराम बताते हैं कि यहां से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व उत्तर प्रदेश के त्रिकोण पर स्थित श्री कालेश्वर महादेव मठ जो प्राचीन और ऐतिहासिक है। यहां पर खोदाई में निकले पत्थर शिलाओं से पता चलता है कि प्राचीनकाल की संस्कृति में सांकेतिक भाषाओं का प्रयोग किया जाता था। पौराणिक मान्यता है कि इस मठ में स्वयं भगवान शिव स्वयंभू लिंग के रूप में विराजमान हैं। उन्होंने बताया कि यह 4000 साल से भी अधिक पुराना है जिस जगह पर कालेश्वर मठ स्थापित है यहां कभी जंगल हुआ करते थे।

चोरों ने एक समय यहां से भैंसे चुरा ली थी जो भूरे रंग की थी लेकिन यहां पहुंचते ही उनका रंग काला हो गया। उन्होंने बताया कि महात्मा के पास एक मणि थी उसे पर अकबर की नजर पड़ गई तो उन्होंने इस महात्मा जी से मांग लिया जब महात्मा जी ने उन्हें देने से मना कर किया तो उन्होंने यह मणि कुंड में फेंक दी जब हथिनी को लोहे जंजीर डालकर पानी में भेजा गया जब वह बाहर निकली तो वह सोने की बनकर निकली। उन्होंने यह भी बताया कि आज जिस जगह पर महात्मा जी की समाधि है वह यहां जिंदा ही अपनी समाधि बनाकर चले गए।

अगर बात करें तो कालेश्वर महादेव मठ का इतिहास बेहद ही रोचक है। इसका इतिहास जितना पुराना है उतनी ही सच्ची मन्नत भी है। तभी तो देश के कोने-कोने से लोग यहां मन्नत मांगने और पूरी होने के बाद पहुंचते हैं।