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प्रचार सामग्री पर प्रिंटिंग प्रेस का पता नहीं होने पर हो सकती छह महीने की सजा- जिला निर्वाचन अधिकारी
चुनाव प्रचार सामग्री पर मुद्रक व प्रकाशक के नाम का अंकित होना जरूरी- डीसी
यमुनानगर 21 मार्च। लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार सामग्री पर प्रिंटिंग प्रेस का पता अंकित होना जरूरी है। प्रचार सामग्री पर मुद्रक व प्रकाशक का नाम-पता अंकित नहीं होने पर छह महीने की सजा हो सकती है। जिला निर्वाचन अधिकारी एवं उपायुक्त कैप्टन मनोज कुमार ने जिला के सभी प्रिंटिंग प्रेस संचालकों को निर्वाचन आयोग के निर्देशों के अनुसार प्रचार सामग्री की छपाई करने के निर्देश दिए हैं।
जिला निर्वाचन अधिकारी ने निर्देश देते हुए कहा है कि लोकसभा चुनाव की घोषणा से साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। इस सम्बन्ध में अपने चुनाव प्रचार के दौरान सभी राजनीतिक दल व चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार या उनके समर्थक प्रचार के रूप में पोस्टर, पैम्पलेट, हैण्ड बिल – बैनर इत्यादि छपवाते हैं। उन्होंने कहा है कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 क के अनुसार कोई भी प्रिंटर या प्रिंटिंग प्रेस का मालिक किसी भी प्रकार की गैर कानूनी सामग्री छाप कर नहीं दे सकता है।
उन्होंने कहा है कि छपाई दस्तावेज पर किसी धर्म, जाति, समाज, भाषा विशेष या चरित्र हनन का प्रकाशन गैर कानूनी होगा। दोषी पाए जाने पर प्रकाशन व छपवाई करवाने वाले के विरुद्ध जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 127 क के अनुसार छह माह की कैद या दो हजार रुपए जुर्माना अथवा दोनो का प्रावधान है। इसके साथ ही उन्होंने निर्देश देते हुए कहा है कि इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति कोई ऐसी निर्वाचन पुस्तिका के पोस्टर, जिसके मुख्य पृष्ठ पर उसके मुद्रक और प्रकाशक का नाम व पता नहीं है तो वह मुद्रित या प्रकाशित नहीं करेगा।
जिला निर्वाचन अधिकारी कैप्टन मनोज कुमार ने प्रिंटिंग प्रेस, प्रिंटर से अपील करते हुए कहा है कि किसी भी प्रकार की गैर कानूनी सामग्री की छपाई न करेंं। भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार ही प्रचार सामग्री की छपाई करें अन्यथा उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी। आदर्श चुनाव आचार संहिता की पालना करते हुए जिला में लोकसभा चुनाव को पारदर्शी, निष्पक्ष व शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न करवाने में जिला प्रशासन का सहयोग करें।