यमुनानगर/मोहित वर्मा
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे आईएएस एमएल वर्मा और उनके परिवार की शहादत को याद करते हुए शनिवार को पूरे प्रदेश में आतंकवाद विरोधी बलिदानी दिवस मनाया गया। इस अवसर पर विभिन्न जिलों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए, जबकि मुख्य कार्यक्रम यमुनानगर के ललहाड़ी कलां गांव में हुआ, जहां हजारों लोगों ने वर्मा परिवार को नमन किया।
मुख्य कार्यक्रम में एमएल वर्मा के छोटे भाई एवं वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजीव वर्मा सहित प्रशासनिक अधिकारी, राजनेता, गणमान्य व्यक्ति और बड़ी संख्या में आम जनता शामिल हुई। इसके अलावा, यमुनानगर, कैथल, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पंचकूला, पानीपत और जींद सहित प्रदेशभर में श्रद्धांजलि सभाओं का आयोजन किया गया।
1992 में यात्रा के दौरान आतंकियों ने बरसाई थीं गोलियां –
1 फरवरी 1992 को एमएल वर्मा अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ से यमुनानगर के ललहाड़ी कलां गांव जा रहे थे। जैसे ही उनकी गाड़ी शहजादपुर के पास कक्कड़ माजरा गांव के नजदीक पहुंची, घात लगाए आतंकियों ने अचानक गोलियां बरसानी शुरू कर दीं। इस निर्मम हमले में एमएल वर्मा, उनकी पत्नी प्रीति वर्मा, बेटे गौरव और सौरभ, गनमैन सतवीर सिंह और ड्राइवर राजबीर सिंह की मौके पर ही मौत हो गई थी।
प्रशासनिक सेवा के मजबूत स्तंभ थे एमएल वर्मा –
आईएएस एमएल वर्मा को उनके प्रशासनिक कौशल और अनुशासन के लिए जाना जाता था। वे हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भजनलाल के सबसे भरोसेमंद अधिकारी थे। उनके नेतृत्व में एसवाईएल नहर, चंडीगढ़ की स्थिति और अन्य महत्वपूर्ण मामलों में कई निर्णय लिए गए थे, जिससे आतंकवादी और कट्टरपंथी नाराज थे। उनकी हत्या हरियाणा में प्रशासनिक सेवा पर सबसे बड़े हमलों में से एक मानी जाती है।
ललहाड़ी कलां में बना बलिदानी स्मारक, हर साल होता है श्रद्धांजलि कार्यक्रम –
हर साल 1 फरवरी को एमएल वर्मा और उनके परिवार की शहादत को सम्मान देने के लिए बलिदानी दिवस का आयोजन किया जाता है। इस साल भी ललहाड़ी कलां गांव में विशेष श्रद्धांजलि सभा हुई, जहां हजारों लोगों ने उनकी याद में पुष्प अर्पित किए। इस मौके पर हरियाणा के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में वर्मा परिवार के बलिदान को याद किया और उनके दिखाए मार्ग पर चलने की प्रेरणा ली।
संजीव वर्मा (वरिष्ठ आईएएस और एमएल वर्मा के छोटे भाई) ने कहा एमएल वर्मा का बलिदान हरियाणा की प्रशासनिक सेवा के इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ चुका है। उनका अद्वितीय योगदान और निडर व्यक्तित्व हमें सच्ची प्रशासनिक सेवा के मूल्यों की याद दिलाते हैं।
प्रदेशभर में हुए श्रद्धांजलि कार्यक्रम –
एमएल वर्मा की शहादत को याद करते हुए यमुनानगर, कैथल, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, पंचकूला, पानीपत और जींद सहित कई जिलों में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए गए। सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों ने आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए विशेष कार्यक्रम किए।
बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाएगा –
एमएल वर्मा और उनके परिवार का बलिदान आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष और प्रशासनिक निष्ठा का प्रतीक बना रहेगा। उनकी शहादत यह संदेश देती है कि प्रशासनिक सेवा में कार्यरत अधिकारी निष्पक्षता, ईमानदारी और साहस के साथ अपने कर्तव्यों का पालन करें।