अध्यापको की गैर शिक्षण संस्थानों में ड्यूटी लगाना गलत ,हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ

मोहित वर्मा, यमुनानगर

हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ के आह्वान पर हरियाणा सरकार की शिक्षा, शिक्षक व छात्र विरोधी नीतियों के विरोध में हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ का अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन आज 81 वें दिन भी जारी रहा। जिला प्रधान संजय कंबोज ने प्रेस को बताया कि आज जिला यमुनानगर राम नरेश जिला प्रेस सचिव, खंड रादौर के प्रधान मनीष तंवर, कोषाध्यक्ष पुनीत बालियान, वरिष्ठ अध्यापक नेता अमरीक सिंह, सुनील कुमार खंड जगाधरी के पूर्व सचिव सहित पांच अध्यापक क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे।

अध्यापक नेता राकेश धनखड़, डी आर सिंघल, ओम प्रकाश ने अनशन पर बैठने वाले अध्यापकों को मालाएँ पहनाकर संबोधित करते हुए कहा कि सरकारें शुरू से ही शिक्षा की अनदेखी करती आई हैं। वर्तमान सरकार तो संवेदनहीन व तानाशाहीपूर्ण व्यवहार कर रही है। शिक्षकों के हज़ारों पद खाली पड़े है। शिक्षक रहित व एकल शिक्षक स्कूलों की संख्या भी बहुत अधिक है। इसके बाद भी गैर शैक्षणिक कार्यों का बोझ बहुत अधिक है। परिवार पहचान पत्र में अध्यापकों की ड्यूटी लंबे समय से लगाई जा रही है। जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। बार बार विरोध करने के बाद गैर शैक्षणिक कार्य ना करवाये जाने के पत्र भी जारी हो जाती है परंतु ऐसे आदेश केवल काग़ज़ बन कर रह जाते हैं। परिवार पहचान पत्र के अपडेशन में अध्यापकों की ड्यूटी लगाए जाने का अध्यापक संघ पुरजोर विरोध करता है व मांग करता है कि अध्यापकों से शिक्षण कार्य से अलग कोई भी काम ना लिया जाए।

शिक्षा नीति 2020 बच्चे की पहुंच शिक्षा के सिद्धांत पर आधारित ना होकर एनरोलमेंट के सिद्धांत पर आधारित है इसी कारण बहुत सारे स्कूलों को मर्ज के नाम पर बंद किया जा रहा है।

शिक्षा नीति में लिखित ऑनलाइन शिक्षा, स्व वित्त, कक्षा पहली व दूसरी आंगनबाड़ी व एन जी ओ को देने, कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बोझ, निजी स्कूलों को बढ़ावा देने इत्यादि शब्द वाक्यों से सपष्ट पता चलता है कि सरकार सार्वजानिक शिक्षा के खर्च को भविष्य के लिए निवेश ना समझकर बोझ समझ रही है और सार्वजनिक शिक्षा से हाथ खींचती दिख रही है। इसके तहत सरकार ऑनलाइन ट्रांसफर के समय 4800 स्कूलों को बंद किया जा चुका है। अध्यापकों के हजारों पद खाली पड़े हैं

सरकार मुद्दों को हल करने की बजाय केवल आश्वासन से ही काम चला रही है। वार्ता का समय देकर न मिलना या बैठक कर समस्याएं सुनने व कोरे आश्वासन तक सीमित है।

 

उन्होंने आगे कहा कि स्कूल खोलने की बजाय जनता द्वारा खड़े किए गए ढांचे को तहस नहस करने पर आमादा है, शिक्षा का बजट बढ़ाने, ढांचागत सुविधाएं देने की बात हो या फिर खाली पड़े पदों पर शिक्षकों और गैर शैक्षणिक स्टाफ की भर्ती करने की बात हो। हरियाणा में शिक्षा सुधार के नाम पर मॉडल संस्कृति स्कूल बनाए गए जिन्हें सीबीएसई संबद्ध कर बच्चों को लूटने का काम कर रही है। दाखिलों में पीपीपी की शर्त जैसी अड़चनें खड़ी कर दी गई हैं। हजारों की संख्या में पद खाली पड़े हैं। जिस तबादला नीति को लेकर संगठन हमेशा सवाल करता रहा है, अब सरकार पुनः नई नीति बनाने की कह रही है। 2017 में नियुक्त अध्यापकों को आज तक स्थाई जिले अलॉट नहीं किए गए। प्राथमिक अध्यापकों की साढ़े छह वर्ष से सामान्य तबादलों को तरह रहे हैं। पदोन्नति, एसीपी जैसे विभागीय लंबित मामलों को हल करने की बजाय लटका कर रहे हैं ताकि शिक्षक मजबूर होकर सुविधा शुल्क दें या न्यायालय में भटकने पर मजबूर हैं। अगस्त 2022 में हुई ट्रांसफर ड्राइव स्कूल बंदी व पद समाप्ति की ड्राइव साबित हुई। चिराग के नाम पर गरीब छात्रों को निजी स्कूलों की ओर धकेल कर सार्वजनिक ढांचे को समाप्त करने पर तुली है। आम जनता जो अपने बच्चों को महंगे निजी स्कूलों में नहीं भेज सकती, उन्हें सरकार की गलत नीतियों और शिक्षा के प्रति उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। अध्यापक संघ मांग करता है कि सभी स्कूलों में खाली पड़ी शिक्षकों व गैर शैक्षणिक स्टाफ के पदों को नियमित भर्ती से भ रा जाये, मॉडल संस्कृति स्कूलों में फीस लेना तुरंत बंद किया जाये व ली गई फीस को वापिस किया जाये।

जब तक मांगे नहीं मानी जाती तब तक कर्मिक अनशन जारी रहेगा।

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