करनाल में बंदर पकड़ने का अभियान जारी, पकड़े गए करीब 35 बंदर को कलेसर के जंगल में छोड़ा : डाॅ. वैशाली शर्मा

करनाल/मोहित वर्मा
शहर वासियों के लिए परेशानी का सबब बने बंदरों को पकड़ने का अभियान जारी है। यह कार्य कुछ दिन पहले पुनः शुरू किया गया है। इसके तहत बंदर पकड़ने वाली एक्सपर्ट टीम ने करीब 35 बंदरों को पकड़ लिया है। इन बंदरों को कलेसर के जंगल में छोड़ा जा चुका है। यह जानकारी नगर निगम आयुक्त डाॅ. वैशाली शर्मा ने दी।

उन्होंने बताया कि नागरिकों को उत्पाती बंदरों से निजात दिलाने के लिए नगर निगम गम्भीरता से कार्य कर रहा है। उन्होंने बताया कि बंदर पकड़ने के लिए पहले भी अभियान शुरू किया गया था, परंतु दीपावली इत्यादि त्यौहारी सीजन के चलते टीम वापिस चली गई थी। उस दौरान करीब 60 बंदर पकड़े गए थे। अब पुनः अभियान शुरू किया है, जो सभी बंदरों के पकड़े जाने तक चलेगा। उन्होंने बताया कि सभी बंदरों को पशुपालन विभाग से मेडिकल करवाने के उपरांत जंगल में छोड़ा गया है। बंदर पकड़ने का कार्य नियम व शर्तों के तहत ही आकिया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इन बंदरों को शहर के सेक्टर 6, 9, प्रेम नगर, गांधी नगर व इंडस्ट्री क्षेत्र से पकड़ा गया है। उन्होंने बताया कि जिस क्षेत्र से शिकायत प्राप्त होती है, वहीं पर पिंजरा लगाकर बंदरों को पकड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर किसी क्षेत्र में बंदर ज्यादा तादाद में हैं, तो वह एजेंसी के सम्पर्क नम्बर 9690402290 तथा नगर निगम के टोल फ्री नम्बर 18001802700 पर सूचना दे सकते हैं।

बंदरों को पकडने के यह हैं नियम व शर्तें- निगमायुक्त ने जानकारी देते बताया कि बंदरों को पकड़ने के लिए नगर निगम द्वारा नियम व शर्तें निर्धारित की गई हैं। उन्होंने बताया कि बंदरों को एनिमल बोर्ड ऑफ इंडिया के मानदंडों के अनुसार ही पकड़ा जाएगा। पकड़े गए सभी बंदरों को कलेसर के जंगल में छोडना होगा। सम्बंधित एजेंसी को प्रीवेंशन ऑफ क्रूएल्टी ऑफ एनीमल एक्ट-1960 व वन्य प्राणी अधिनियम -1972 की धारा-12 (बीबी) तथा ए.डब्ल्यू.बी.आई. के आदेशों की पालना करना अनिवार्य होगा। इन्हें पकड़ते समय किसी भी प्रकार की क्रूरता व निर्दयता नहीं बरती जाएगी तथा पिंजरा व अन्य सभी उपकरण सम्बंधित एजेंसी के होंगे। उनके पिंजरे में खाने की चीजें जैसे चना, गुड, मूंगफली, फल व अन्य खाद्य पदार्थ एजेंसी को ही उपलब्ध करवाने होंगे। बंदरों को वन में छोडने के लिए गाड़ी, ट्रैक्टर-ट्राली, ड्राईवर व डीजल इत्यादि संसाधन भी सम्बंधित एजेंसी के ही होंगे। इस कार्य के लिए लगाए गए कर्मचारी प्रशिक्षित होने चाहिएं।

निगमायुक्त ने बताया कि पकड़े गए सभी बंदरों को पशु चिकित्सक अस्पताल से मेडिकल करवाना अनिवार्य रहेगा। इन्हें पकडने के लिए किसी भी नशीली वस्तु व दवा का प्रयोग करने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध रहेगा और न ही भोजन में ऐसा कोई पदार्थ दिया जाएगा। एजेंसी अपने अधीन कर्मचारियों को सेफ्टी किट व फ्स्ट एड किट उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करेगी। पकड़े गए बंदरों को एजेंसी साफ-सुथरे स्थल पर रखेगी।

बता दें कि एजेंसी को ठेके के नियम व शर्तों के अनुरूप ही कार्य करना होगा। एजेंसी को नगर निगम की मांग अनुसार कर्मचारियों की संख्या भी बढ़ानी होगी। बंदरों को पकड़ने का कार्य संतोषजनक न पाए जाने पर एजेंसी का ठेका रद्द करने का पूर्ण अधिकार नगर निगम आयुक्त का रहेगा। इसके अतिरिक्त नियम व शर्तों में किसी भी प्रकार का संशोधन करने का अधिकार भी निगमायुक्त का ही होगा।

फोटो कैप्शन- टीम द्वारा पिंजरे में पकड़े गए बंदर।

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