अब कोर्ट में भी आरोपी को हथकड़ी लगा सकेगी पुलिस, DGP ने सभी जिलों के SP को भेजी चिट्‌ठी

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एडिट : सोहन पोरिया
हरियाणा में अब किसी आरोपी को कोर्ट में पेशी के वक्त भी पुलिस हथकड़ी लगा सकेगी। इसके लिए नए कानून में पुलिस को पावर दे दी गई है। जिसमें 12 तरह के अपराधियों को पुलिस अपने स्तर पर ही हथकड़ी पहना सकती है। पहले पुलिस को इसके लिए कोर्ट से परमिशन लेनी होती थी।

इस बारे में DGP शत्रुजीत कपूर ने सभी जिलों के SP को चिट्‌ठी जारी की है। जिसके बाद सभी SP ने फील्ड में तैनात पुलिस कर्मियों को इस बारे में ट्रेनिंग देने के लिए कहा है। बता दें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने CM नायब सैनी की अगुआई वाली हरियाणा सरकार को मार्च महीने तक 3 नए कानून लागू करने का टाइम दिया है

DGP की भेजी चिट्‌ठी में क्या लिखा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 43 में अपराध की प्रकृति और गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पुलिस अधिकारियों की तरफ से हथकड़ी का इस्तेमाल करने का प्रावधान है। इसके लिए DGP की तरफ से दिशानिर्देश जारी किए गए हैं।

DGP के पत्र के मुताबिक पुलिस अधिकारी किसी को गिरफ्तार करते वक्त या कोर्ट में पेश करते समय हथकड़ी लगा सकता है, अगर वह कोई अपराध बार–बार कर चुका है या आदतन अपराधी है या फिर हिरासत से फरार हो चुका है।

अपराध की प्रकृति और गंभीरता को देखते हुए 11 अपराधों के आरोपी को हथकड़ी लगाई जा सकती है। इसमें आतंकवाद, नशा, हथियार और गोला–बारूद, रेप, मर्डर, एसिड अटैक, यौन अपराध से लेकर राज्य के खिलाफ अपराध तक शामिल हैं।

चलिए आपको बताते हैं पहले हथकड़ी को लेकर क्या थे नियम – सुप्रीम कोर्ट ने 1980 में प्रेम शंकर शुक्ला बनाम दिल्ली सरकार मामले में फैसला सुनाते हुए हथकड़ी के इस्तेमाल को अनुच्छेद 21 के तहत असंवैधानिक करार दिया था। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा था कि यदि किसी कैदी को हथकड़ी लगाने की जरूरत महसूस होती है तो उसका कारण दर्ज करना होगा और मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।

वहीं 1860 में बनी IPC की जगह भारतीय न्याय संहिता, CrPC की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और 1872 के इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य संहिता ने ले ली है। इन तीनों नए कानूनों को लाने का खास मकसद अंग्रेजों के जमाने में भारतीयों को सजा देने के लिए बनाए पुराने कानूनों को हटाकर आज की जरूरत के मुताबिक कानून लागू करना रहा है।

इन तीनों कानूनों के लागू होने के बाद क्रिमिनल लॉ में काफी कुछ बदल गया है। जैसे कि अब देशभर में कहीं भी जीरो एफआएआर दर्ज होने लगी है। वहीं कुछ मामलों में पुलिस को आरोपी की गिरफ्तारी के लिए अपने सीनियर से मंजूरी नहीं लेनी पड़ेगी।